उत्तर प्रदेश

दो बार जांच… फिर भी फर्जी अभिलेखों से नौकरी पा रहे शिक्षक, संदेह के घेरे में नियुक्ति की जांच

@ दो बार जांच हुई, फिर भी शिक्षक फर्जी अभिलेखों से नौकरी पा रहे हैं। शिक्षकों की नियुक्ति की जांच संदेह के घेरे में आ रही है। 

UP News: दो बार जांच… फिर भी फर्जी अभिलेखों से नौकरी पा रहे शिक्षक, संदेह के घेरे में नियुक्ति की जांच

 

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नियुक्ति की जांच संदेह के घेरे में आ रही है। जिस प्रकार से पिछले आठ साल में जिले में फर्जी शिक्षकों के मामले सामने आए हैं। इससे विभाग की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। नियुक्ति के समय दो बार जांच होती है आखिर इसके बाद भी फर्जी अभिलेख से शिक्षक नौकरी हासिल कर लेता है। वह भी तब होता है जब इसकी कोई शिकायत करता है। जिले में पिछले सात साल में 45 शिक्षक सेवा से बाहर किए गए हैं।

 

 

 

बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों से नौकरी के बढ़ते मामले बेसिक शिक्षा विभाग पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। नियुक्ति के समय शिक्षकों के अभिलेखों की ऑनलाइन और ऑफलाइन जांच कराई जाती है। इसके बाद ही उन्हें वेतन जारी किया जाता है। दो बार की जांच के बाद किसी प्रकार से शिक्षकों के फर्जी अभिलेख का संदेह नहीं बचता। लेकिन जब कोई शिकायत होती है तो उसी शिक्षक के अभिलेख फर्जी घोषित कर दिए जाते हैं। विभाग की यह कार्यशैली लोगों के गले नहीं उतर रही है। आखिर सिस्टम में कहां पर झोल है जो नियुक्ति के समय जांच में अभिलेख सही पाए जाते हैं और शिकायत पर फर्जी।

विशेषज्ञों की समिति से कैसे होती है चूक

शिक्षक भर्ती के दौरान चयनितों के अभिलेखों की जांच के लिए जिला चयन समिति बैठाई जाती है। चयन समिति में अभिलेख विशेषज्ञों को रखा जाता है। चयन समिति शिक्षकों के अभिलेखों का भौतिक सत्यापन करती है। भौतिक सत्यापन में आखिर फर्जी अंकपत्र किस प्रकार से असली साबित हो जाता है। ऐसा एक बार नहीं बार-बार हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि या तो चयन समिति में बैठे अधिकारियों को असली और फर्जी की जानकारी नहीं है या फिर वे भ्रष्टाचार कर फर्जी को असली कर रहे हैं।

 

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रिपोर्ट जारी करने वाले पर क्यों नहीं होती कार्रवाई

बेसिक शिक्षा विभाग से बर्खास्त किए गए शिक्षक हृदेश की नियुक्ति वर्ष 2009 में हुई थी। हृदेश की नियुक्ति के समय उसकी दो बार जांच कराई गई थी और दोनों बार उसके अभिलेख सही पाए गए। आखिर 15 साल बाद हुई जांच में उसके अभिलेख फर्जी हो गए। कहीं न कहीं इसमें जांच करने वाले भी दोषी हैं। उन पर पर कार्रवाई क्यों नहीं होती।

 

पिछले सात साल में सेवा से बाहर हुए शिक्षक

वर्ष – बर्खास्त शिक्षक

2017- 31

2020- 04

2021- 03

2022- 02

2023- 03

2024- 02

शासनादेश के तहत नियुक्ति के समय सभी शिक्षकों के अभिलेखों की जांच गोपनीय पत्र भेजकर संबंधित बोर्ड से कराई जाती है। पिछले कुछ समय से ऑनलाइन जांच की भी व्यवस्था है। जांच रिपोर्ट के बाद ही वेतन जारी किया जाता है। -दीपिका गुप्ता, बीएसए

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