फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र बनवाकर 157 लोग बन गए शिक्षक, अब होंगे बर्खास्त
ब्यूरो रिपोर्ट मध्य प्रदेश
भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में दिव्यांग कोटे से शिक्षकों की भर्ती मामले में फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने से जुड़े इस मामले में शिक्षकों की बर्खास्तगी के लिए विभाग ने रिपोर्ट भेजी है। सूत्रों के अनुसार दो साल पहले जिले के 157 लोगों ने शिक्षक की नौकरी फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर हासिल कर ली। अब तीन सदस्यीय कमेटी की जांच में शिक्षकों के मेडिकल सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें डॉक्टर ने उस बीमारी का सर्टिफिकेट जारी कर दिया, जिसका वह विशेषज्ञ ही नहीं है। वहीं कुछ प्रमाणपत्र मेडिकल बोर्ड के बजाए एकल डाक्टर से जारी किए गए। नियम के मुताबिक किसी भी भर्ती के सरकारी डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड ही सर्टिफिकेट जारी कर सकता है।
साल 2022 में भर्ती हुए इन शिक्षकों की बर्खास्तगी के लिए विभाग ने जांच रिपोर्ट लोक शिक्षण संचालनालय को भेज दी है। ये भी कहा जा रहा है कि ये मामला डेढ़ साल पहले ही पकड़ में आ गया था, लेकिन शिक्षकों को बचाने के लिए अधिकारियों ने डेढ़ साल तक जांच दबाए रखी, जबकि ऐसे ही मामले में मुरैना, ग्वालियर, छतरपुर और टीकमगढ़ समेत कई जिलों में 205 शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने आज यहां बताया कि विधानसभा चुनाव के समय उनकी नियुक्ति भिंड में हुई। जैसे ही उन्हें मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत जांच कमेटी बनाई। जांच के बाद कमेटी ने रिपोर्ट भेज दी है। आगे का फैसला शिक्षण संचालनालय के स्तर पर होगा। श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे लगभग एक दर्जन डाक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने बिना जांच के ये दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए थे।