दिल्ली में दुकान चला रहा था बिजनौर का खूंखार डकैत, एक गलती से 37 साल बाद पकड़ा गया
58 कप्तान और 45 थानेदार बदले, अब पकड़ा गया हासिम
दिल्ली में दुकान चला रहा था बिजनौर का खूंखार डकैत, एक गलती से 37 साल बाद पकड़ा गया
58 कप्तान और 45 थानेदार बदले, अब पकड़ा गया हासिम
UP News: साल 1979 में यूपी के बिजनौर स्थित बढ़ापुर थाना क्षेत्र में एक घर में डकैती डाली गई थी। पुलिस ने उस वक्त के बढ़ापुर थाना क्षेत्र के गांव आसफपुर सैदपीर उर्फ बनौवाला निवासी हासिम पुत्र बल्लू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से 37 साल पहले फरार हुए खूंखार डकैत को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है। वह दिल्ली के मुस्तफाबाद में छिपकर परचून की दुकान चला रहा था। सीजेएम कोर्ट से सात साल की सजा होने के बाद वह साल 1986 में फरार हो गया था। इसके बाद हाई कोर्ट से स्थाई वारंट जारी होने के बाद पुलिस 37 साल से उसकी खोज में लगी थी। अब नगीना देहात पुलिस ने उसे दिल्ली के मुस्तफाबाद से गिरफ्तार किया है। आरोपी को जेल भेज दिया गया है।
1979 में बढ़ापुर थाना क्षेत्र में एक घर में डकैती डाली गई थी। तत्कालीन पुलिस ने उस वक्त के बढ़ापुर थाना क्षेत्र के गांव आसफपुर सैदपीर उर्फ बनौवाला निवासी हासिम पुत्र बल्लू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में सीजेएम कोर्ट ने डकैती के आरोप में हासिम को सात साल की सजा सुनाई। सजा होने के बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने उसकी जमानत मंजूर कर ली। जमानत के बाद वह हाईकोर्ट में नहीं गया। हाईकोर्ट ने भी उसकी सजा बरकरार रखी।
साल 1986 में हाईकोर्ट ने हासिम के खिलाफ जारी किया वारंट
इसके बाद साल 1986 में हाजिरी नहीं होने के चलते हाईकोर्ट ने डकैत हासिम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। लेकिन तब तक वह अपनी संपत्ति बेचकर यहां से जा चुका था। वारंट के बाद कुर्की की कार्रवाई के बाद उसे भगोड़ा घोषित किया गया। इसके बाद हाई कोर्ट ने हासिम के खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया। इसके बाद से वह दिल्ली के मुस्तफाबाद में मकान बनाकर रह रहा था। यहीं पर परचून की दुकान चलाता था। बीते शुक्रवार रात पुलिस ने उसे उसके दिल्ली वाले घर से गिरफ्तार कर लिया।
*58 कप्तान और 45 थानेदार बदले, अब पकड़ा गया हासिम*
एसपी ने बताया कि टीम को दस हजार नगद इनाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि 37 साल से भगौड़ा हासिम को तलाशने के लिए पुलिस का समस-समय पर प्रयास चलता रहा। हाई कोर्ट से वारंट जारी होने पर पुलिस सक्रिय हो जाती, लेकिन फिर से उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता। समय चक्र के साथ साल 1986 से 58 कप्तान और नगीना देहात के 45 थानेदार बदल गए। आरोपी पुलिस को नहीं मिला। एसओ नगीना देहात हम्बीर सिंह ने बताया कि आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है।
भाई के सहारे ऐसे डकैत हासिम तक पहुंची पुलिस
एसपी नीरज कुमार जादौन ने बताया कि 45 साल पहले घटना क्षेत्र बढ़ापुर थाना क्षेत्र में था। लेकिन साल 1987 में नगीना देहात थाना बनने पर डकैती का मुकदमा यहां शिफ्ट हो गया था। इसके बाद थाना प्रभारी हम्बीर सिंह को आरोपी की खोजबीन का टास्क सौंपा गया। उन्होंने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया। आरोपी के मूल गांव से सुरागरसी करते हुए आरोपी के पास तक पहुंचे
इस वक्त वह परिवार के साथ आराम से रह रहा था। खुद परचून की दुकान करता था और बेटे नौकरी करते हैं। एसओ हम्बीर सिंह ने बताया कि पुलिस उसकी तलाश में लगी हुई थी। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि भगौड़ा हासिम का एक भाई नजीबाबाद के साहनपुर कस्बे में रहता है। हासिम उसके संपर्क में हैं। पुलिस ने हासिम के भाई से पूछताछ की तो राज खुल गया।