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चीन से आर-पार की तैयारी में ताइवान बदला पासपोर्ट

नई दिल्ली ब्यूरो रिपोर्ट

ऐसे कई देश हैं जहां पुराने पासपोर्ट को लेकर भ्रम था, क्योंकि उस पर चीन लिखा हुआ था। इस वजह से यह फैसला लेना पड़ा।

चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्ट ताकतों से युद्ध हारने के बाद ताइवान को चीन गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था। उसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का नाम दिया गया था। हालांकि तभी से चीन इस देश को अपना हिस्‍सा बताता रहा है और इसको पाने के लिए सैन्‍य आंदोलन की धमकी भी देता रहा है।

ताइपे पूर्वी एशिया में स्थित एक द्वीप है और यह द्वीप अपने आस-पास के द्वीपों के साथ चीन गणराज्य का हिस्सा है और इसका मुख्यालय ताइवान का द्वीप है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से यह मुख्य भूमि (चीनी गणराज्य) का हिस्सा माना जाता है, लेकिन इसकी स्वायत्तता के बारे में विवाद है। ताइवान की राजधानी ताइपे है, जो एक वित्तीय केंद्र है। इस द्वीप पर रहने वाले लोग अमय, स्वातोव और हक्का की भाषा बोलते हैं और मंदारिन राज्यों की भाषा है।

ऐसे कई देश हैं जहां पुराने पासपोर्ट को लेकर भ्रम था, क्योंकि उस पर चीन लिखा हुआ था। इस वजह से यह फैसला लेना पड़ा।

चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्ट ताकतों से युद्ध हारने के बाद ताइवान को चीन गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था। उसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का नाम दिया गया था। हालांकि तभी से चीन इस देश को अपना हिस्‍सा बताता रहा है और इसको पाने के लिए सैन्‍य आंदोलन की धमकी भी देता रहा है।

ताइपे पूर्वी एशिया में स्थित एक द्वीप है और यह द्वीप अपने आस-पास के द्वीपों के साथ चीन गणराज्य का हिस्सा है और इसका मुख्यालय ताइवान का द्वीप है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से यह मुख्य भूमि (चीनी गणराज्य) का हिस्सा माना जाता है, लेकिन इसकी स्वायत्तता के बारे में विवाद है। ताइवान की राजधानी ताइपे है, जो एक वित्तीय केंद्र है। इस द्वीप पर रहने वाले लोग अमय, स्वातोव और हक्का की भाषा बोलते हैं और मंदारिन राज्यों की भाषा है।

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