उत्तरप्रदेश

बिजनौर सामाचार: जेसीबी से मिट्टी खनन पर थानेदार-लेखपाल होंगे जिम्मेदार

ब्यूरो रिपोर्ट बिजनौर

 

बिजनौर जेसीबी से जनपद में  खनन हुआ तो इसके लिए थानेदार और हल्का लेेखपाल जिम्मेदार होंगे। खनन की अनुमति होने पर भी जेसीबी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। जेसीबी से मिट्टी उठाने पर राजस्व और पुलिस की संलिप्ता मानी जाएगी, यह सख्त चिट्ठी जिलाधिकारी की ओर से जारी कर दी गई है।
अवैध खनन को लेकर जिले की छवि शासन स्तर पर छवि धूमिल होती रही है। नदियों से अवैध खनन में ही नहीं बल्कि मिट्टी के खनन को लेकर भी तमाम शिकायतें होती है। इसके लिए डीएम उमेश मिश्रा ने बाकायदा पत्र जारी किया है।

सभी एसडीएम, सीओ, तहसीलदार और सभी थानाध्यक्षों को जारी किए गए पत्र में कहा गया कि खेत से मिट्टी उठाने के लिए भी किसान को पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। ऑनलाइन पंजीकरण के बाद ही खेत से मिट्टी उठाई जा सकती है। किसानों के निजी उपयोग के अलावा इनकी सहमति पर दूसरे लोगों को मिट्टी के उठाने की अनुमति दी जाती है। अनुमति के बाद भी फावड़े से ही मिट्टी उठाई जा सकती है, जेसीबी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

पत्र में यह भी साफ किया गया कि जिले में किसी को भी जेसीबी से मिट्टी उठाने की अनुमति नहीं दी गई है।

निर्देश जारी किए गए कि अपने अपने क्षेत्र में जेसीबी से हो रहे अवैध खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाएं। सरकारी कार्यदायी संस्थाओं और नेशनल हाईवे के अधिकृत लोग भी जेसीबी का इस्तेमाल नहीं कर सकते। निर्देश दिए कि ये भी हस्तचालन विधि से ही मिट्टी का खनन कर सकते हैं। जेसीबी से मिट्टी के अवैध खनन और ढुलान की शिकायत मिलने के बाद पुष्टि होने पर थाना प्रभारी, हल्का लेखपाल, राजस्व निरीक्षक और तहसील स्तरीय अधिकारियों की संलिप्ता समझी जाएगी। बता दें कि खेतों से जेसीबी से मिट्टी उठाकर रातोंरात शहर की कालॉनियों में भराव किया जाता है। बिजनौर शहर में भी कई गहरी जगहों में कई कई मीटर तक भराव किया जा चुका है। इसके अलावा जिले में दूसरी जगहों से भी मिट्टी के खनन की शिकायत मिलती रहती हैं।

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